मजा जब तक ही आता है जब तक मजा नहीं आता । जब मजा आजाता है तो फ़िर मजा नही आता ॥ वो कितनी संग दिल है ये मुझको जब पता चला वो मुहं फ़ेर कर रोई, जब मै मथुरा से चला आंख मिला कर रोती तो मै कर देता मुत्विल ओर खुद से पुछता कि लाम्बा अब किधर चला बडा मजा आता है लाम्बा कभी कभी तो चुप रहने मे बड मजा आता है लाम्बा कभी तो छुप रहने मे बडा मजा आता है लाम्बा कभी कभी तो गम सहने मे बडा मजा आता है लाम्बा कभी कभी तो गम कहने मे
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